सँस्कृति

 भारतीय और पाशचात्य सँस्कृति का जो मेल है! वो हमें क्या उंचाईयों की तरफ ले जायेगा ईसमें संदेह है!

हाँ सँस्कृति और हिन्दी का मेल उन्नति के मार्ग अवश्य प्रशस्त करेगा!

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